Saturday, July 16, 2022

कवि सूर्य को साधता है -मंजुल भारद्वाज

 कवि सूर्य को साधता है

-मंजुल भारद्वाज 

कवि सूर्य को साधता है  -मंजुल भारद्वाज


कवि सूर्य को साधता है
उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता 
कोई उसके साथ खड़ा हो 
या ना हो 
वो तपता है मनुष्य रूपी 
भेड़ों को मनुष्यता का 
अहसास दिलाने के लिए
वो चमकता रहेगा 
हर सुबह को संवारता हुआ
कवि का लिखा 
पढ़ता है काल
लेता है सबका हिसाब 
हर पापी,जुल्मी को फ़नाकर 
सुपुर्द-ए-खाक करता है 
इसी ज़मीन पर !

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