Saturday, July 16, 2022

यह माटी मिलावटी है -मंजुल भारद्वाज

 यह माटी मिलावटी है 

-मंजुल भारद्वाज


यह माटी
मिलावटी है 
तत्काल उपयोगिता की क्षमता है 
दीर्घकालीन क्षमता का क्षय है 
द्वेष,नफ़रत सिंचित यह माटी
अब प्रेम,ममत्व,बन्धुत्व नहीं जनती
शत्रुता,हिंसा और वर्चस्ववाद को जन्मती है !
यह माटी अब इतिहास नहीं लिखती 
जो लिखा है 
रचा है 
बसा है 
उसे विकृत कर 
उजाड़ रही है !
यह माटी अब अपबा पुन: निर्माण नहीं करती 
यह अब प्रकृति के चक्र को लांघ चुकी है 
दुनिया की सबसे खूबसूरत थाती 
अब प्लास्टिक बन चुकी है यह माटी !
यह माटी अब रिश्ते नाते नहीं बनाती
नहीं पालती 
नहीं संवारती 
यह माटी अब सिर्फ़ मतलब साधती है !
यह माटी अब अपने रक्षक पैदा नहीं करती 
मनुष्य को खाने वाले 
नरभक्षी पैदा करती है 
जो लीलते रहते हैं 
अपनी जननी,राष्ट्र 
प्राकृतिक सम्पदा 
समाज,संस्कृति को 
विकराल,विक्षिप्त अंत तक !

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