▼
आंखों में चमकती लक्ष्य लौ से स्पंदित स्थापित मानदंडों को पिघलाती हुई बेलाग आग धधक रही है संवेदनाओं के गर्भ में दृष्टि सम्मत लक्ष्य को साधती हुई !
आंखों में चमकती
लक्ष्य लौ से स्पंदित
स्थापित मानदंडों को
पिघलाती हुई
बेलाग आग
धधक रही है
संवेदनाओं के गर्भ में
दृष्टि सम्मत लक्ष्य को
साधती हुई !
- मंजुल भारद्वाज
No comments:
Post a Comment