नाभि देह का केंद्र है
नाभि देह का केंद्र है
जिसका उत्तर चैतन्य
दक्षिण भूगत चरण
चैतन्य सिरा मस्तिष्क
ब्रह्मांडीय स्पंदन उर्जा का
मानवीय आलोक है
कर्म प्रधान भौतिक गति की
शक्तिपीठ हैं चरण
मस्तिष्क और चरण
जीवन प्राण उर्जा
नाभि से संचालित
स्पंदित और उत्सर्जित
मानवीय सृजन क्षितिज हैं
अमूर्त मूर्त
मूर्त अमूर्त प्रकिया में
सदैव स्पंदित होते रहते हैं!
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