Friday, May 27, 2022

हिन्द को उन्ही पर नाज़ है! -मंजुल भारद्वाज

 हिन्द को उन्ही पर नाज़ है!

-मंजुल भारद्वाज 

हिन्द को उन्ही पर नाज़ है! -मंजुल भारद्वाज

नेहरु कभी हार नहीं सकता 

विश्वसनीयता का संकट 

नेहरु का बचाव करने वालों का है

उनकी कथनी और करनी का 

दोगलापन सरेआम है 

इसलिए नेहरु को 

अपने हाल पर छोड़ दीजिए 

अपनी विश्वसनीयता बनाइए 

गाँधी को कोई गोडसे 

मार नहीं सकता 

गोडसे ने शरीर को मारा था

गांधी एक विचार है 

विचार कभी नहीं मरता

विचार सदैव जीता है 

विकार का ध्वंस करता है 

गांधी का बचाव मत कीजिये 

आत्मबल हो तो गाँधी को 

अपने अंदर जीवित कीजिये

नहीं है तो आत्महीनता में डूबकर 

भेड़ों में शामिल हो जयकारा लगाइए

हिन्द को उन्ही पर नाज़ है 

जिनका जीवन अपने आप 

एक ‘सूर्य’ है! 

...

#हिन्द #नेहरु #गाँधी #सूर्य #मंजुलभारद्वाज

Saturday, May 21, 2022

एक बूंद -मंजुल भारद्वाज

 एक बूंद 

-मंजुल भारद्वाज 

एक बूंद   -मंजुल भारद्वाज


एक बूंद आँख में शर्म

एक बूंद सहअनुभूति

एक बूंद दर्द  

एक बूंद ज़मीर

एक बूंद अहसास 

एक बूंद प्रकृति 

एक बूंद विवेक

इंसानियत को ज़िंदा

रखने के बहुत है 

मौत के इस वीराने में 

बस वो एक बूंद नहीं मिलती!

#एकबूंदसहअनुभूति  #मंजुलभारद्वाज

हरा था... - मंजुल भारद्वाज

 हरा था...

- मंजुल भारद्वाज


कतरा कतरा 

लम्हा लम्हा

कहीं छुपी

हरा था...  - मंजुल भारद्वाज

खुशी समेट ले

बरसती आग में

बिना पत्तियों वाली

कंटीली झाड़ियों सा

जीना सीख ले !

नदियां पट गई 

लाशों से

समंदर हो गया मरघट

एक बूंद की आस लिए

तपते रेगिस्तान में

रेत सा 

जीना सीख ले !

हरा था

कट कर सूखी

लकड़ी हो गया

तेरी मुक्ति के लिए

स्वाह हो 

सुपुर्द-ए-ख़ाक हो गया

खुद को रोशन कर

पेड़ सा 

जीना सीख ले !