Friday, March 25, 2022

भीड़ कमल का फूल है - मंजुल भारद्वाज

 भीड़ कमल का फूल है

- मंजुल भारद्वाज

भीड़ कमल का फूल है  - मंजुल भारद्वाज


सत्य और असत्य 

दोनों एक साथ चलते हैं

एक जैसे होते हैं

इनका फ़र्क सिर्फ़ दृष्टि करती है !

दृष्टि संपन्न होना 

दुर्लभ होता है 

इसलिए झूठ का बोलबाला है

सच समाधिस्त मौन है

जो लुट जाने के बाद

लोगों को समझ आता है !

कहां,कौन,कब 

अन्याय से लड़ता है?

सब अपने पेट को देख

अपने लिए न्याय कर

अन्याय से समझौता कर लेते हैं

चाहे वो दिहाड़ी मजदूर हो

या सुप्रीम कोर्ट !

भीड़ अफ़वाहों पर पलती है

बारी बारी अपने को 

स्वयं कुचलती है

विनाश भीड़ का मूल है

भीड़ हिंसा का शूल है

यही कमल का फूल है !

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