Tuesday, March 29, 2022

प्रतिष्ठा त्याग,संवाद की पहल करे बौद्धिक वर्ग ! -मंजुल भारद्वाज

 प्रतिष्ठा त्याग,संवाद की पहल करे बौद्धिक वर्ग !

-मंजुल भारद्वाज

संघ अपनी धूर्तता से 

देश की जनता को भीड़ बना 

विकारी सत्ता चला रहा है 

ऐसे विध्वंस काल में 

भारत का विवेकशील 

विचारवान वर्ग मूर्छित है 

विचारवान होते हुए भी 

विचारों को सम्प्रेषित करने के रूढ़िवादी

तरीकों और पद्धतियों में उलझा है 

विध्वंस की आग उनके 

घर द्वार तक पहुंच गई है 

लेकिन वो अपनी बौद्धिकता के 

ताबूत में कैद हैं 

अपनी प्रतिष्ठा को ढोए जाने का इंतज़ार कर रहे हैं

वो आदी हैं बुलाये जाने के 

वो आदी हैं बने बनाये मंच के 

वो आदी हैं समाज की सदाशयता के 

पर आज समाज नहीं भीड़ है 

सत्ता को विचार,सत्य और विवेक की ज़रुरत नहीं 

उसके पास भीड़ है 

भ्रम है 

भय,झूठ,पाखंड का तंत्र है 

ऐसे में प्रतिष्ठा ढोए जाने का इंतज़ार कर रहा बौद्धिक वर्ग

अर्थहीन होकर संघ का साथी बन

देश की तबाही का मौन तमाशबीन बना हुआ है

बौद्धिक वर्ग को अपनी प्रतिष्ठा को स्वाह कर 

विचार की लौ में जलना होगा 

उत्सव मूर्ति,शोभा के बुत बनने की बजाए 

जनसंवाद की नई पहल करनी होगी 

भीड़ को जनता बनाने के लिए

भीड़ के भ्रम को तोड़  

सत्य का मार्ग दिखाना होगा 

मृदुभाषी,शांत छवि को स्वाह कर 

विचार के तेज को ओज देना होगा 

गांधी होने का मतलब समझना होगा 

छवि के पिंजरे को तोड़ 

बड़ी प्रखरता से 

झूठ को झूठ कहना होगा 

भीड़ के पार अपनी आवाज़ को पहुँचाना होगा 

गांधी की तरह निडर होकर 

आत्मबल से नए नए सत्य के प्रयोग करने होंगे 

त्रुटी को सरेआम स्वीकारने का साहस जुटाना होगा 

आज गली गली,गाँव गाँव 

शहर दर शहर बौद्धिक वर्ग को 

सत्य,संविधान और विवेक का 

अलख जगाना होगा !

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