वो धर्म ही क्या जो खतरे में पड़ जाए?
-मंजुल भारद्वाज
थोड़ा मनन कीजिये
थोड़ा विचार कीजिये
वो धर्म ही क्या जो खतरे में पड़ जाए?
धर्म तो खतरे से मुक्त होता है
धर्म तो मनुष्य को
खतरों से मुक्त करता है
पर जो स्वयं खतरे में पड़ जाए
वो धर्म कैसे?
या फिर आपने कभी मनन नहीं किया
सत्ता पिपाशु मानवरक्त के सेवनहार
वहशी दरिंदों ने जो बताया
उसे आपने धर्म मान लिया?
हाँ सत्ता को हमेशा खतरा होता है
पर धर्म वही है जो
खतरों से मुक्त हो
विचार कीजिये
अपने अंदर धर्म की व्याख्या
परिभाषा को स्पष्ट कीजिये
धर्म अपने आप
खतरों से मुक्त हो जाएगा!
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