हे राम
-मंजुल भारद्वाज
हे राम,हे राम,हे राम
यही शब्द निकले थे
भारतभूमि पर गिरते
वयोवृद्ध शरीर से
वो राम राम राम
बोलने वाले गांधी थे
निहत्थे व्यक्ति पर गोली चलाना
क्या राम का संस्कार है?
ये कौन सी मर्यादा है
ये कौन सी राम की सीख है
राम का नाम
हर भारतीय की आस्था है
आस्था में भारत को फूंकना
कौन सी मानसिकता है
मन्दिर वहीँ बनायेगें का
नारा लगाने वालों से पूछो
देश में राम के अनेक मन्दिर हैं
झूठी अस्मिता को छोड़कर
राष्ट्र का निर्माण करो
पर इनको राष्ट्र से नहीं
सत्ता से प्यार है
ये सब सत्ता का खेल है
ये छद्म हैं,राष्ट्र विरोधी हैं
गांधी के हत्यारे आज
गांधी गांधी पुकारें
राष्ट्रपिता की हत्या
राम राम राम
राष्ट्र के लिए
राम मन्दिर का निर्माण
ये आत्महीनता से उपजा विकार है
विनाश विनाश और सिर्फ़ विनाश
इसका द्वार है
आत्मबल की दरकार है
सदबुद्धि,विवेक और नेक विचार
समता,संविधान और सद्भाव से है
देश का उद्धार
राम, राम, राम
हे राम !
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