Thursday, November 7, 2019

तेरे दरबार न्याय के कत्लखाने हैं! -मंजुल भारद्वाज

तेरे दरबार न्याय के कत्लखाने हैं!
-मंजुल भारद्वाज
बदनाम बस्तियों में भले ही
जिस्म बिकते हों
इंसानियत महफ़ूज़ रहती है
सत्ता के गलियारों में
पोषक भले ही सफ़ेद हो
इंसानियत के खून से रंगी होती है
सभ्य समाज सपनो के बाज़ार में
नंगा होकर बिकता है
उसे शान से विकास कहता है
हाशिए का व्यक्ति नंगा रहता है
अपने ईमान को नहीं बेचता
ताउम्र महफ़ूज़ रखता है
कैसे करें तेरी इबादत
ऐ मौला ओ ईश्वर
तेरे दरबार न्याय के कत्लखाने हैं!
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#इंसानियत #ईमान #मौलाईश्वर #मंजुलभारद्वाज

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