भंवर
- मंजुल भारद्वाज
सपनों का भंवरा
घूमता रहता है
कल्पना लोक के नाभि पटल पर
समय के भंवर में लिपटा हुआ
भंवर के चक्र के चक्र को
नए कक्ष में स्थापित करता है
अपनी इच्छा शक्ति
समर्पण और प्रतिबद्धता से
सृजनकार
परत दर परत
काल की परतें
खोलता हुआ
जीवन भंवर में
उलझे मनुष्य को
पशुता से उभारता हुआ!
...
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