मेरा रंग
- मंजुल भारद्वाज
मेरा रंग कौन सा है
मेरा रंग श्वेत है
सफ़ेद है मेरा रंग
मैं कलाकार हूँ
संवाद मेरा प्राण है
मेरी कला का मक़सद है
विश्व शांति, विश्व कल्याण
हम अपनी मुक्ति के लिए
मुक्तिधाम में भी सफ़ेद रंग में
लिपट कर जाते हैं
मेरे सफ़ेद ‘रंग’ में
सारे रंग समाहित हैं
बिल्कुल ‘सूर्य’ किरण की तरह
आपको वही रंग दिखेगा
जो रंग आपकी दृष्टि पर चढ़ा है
या जो रंग ‘आप’ देखना चाहते हैं
जैसे ‘सूर्य’ की किरण को प्रिज्म से
देखने पर हर रंग नज़र आता है
यहाँ ‘सूर्य’ मेरी ‘कलात्मक चेतना’ है
‘प्रिज्म’ है आपका ‘दृष्टिकोण”
वैसे मुझे ‘हरा’ रंग प्रिय है
क्योंकि ‘प्रकृति’ हरी है
मुझे सांस देने वाली ‘वनस्पति’ हरी है
हरी भरी है मेरी ‘वसुंधरा’
‘केसरी’ और बसंती रंग मुझे प्रेरित करते हैं
कुर्बानी के लिए, मानव कल्याण के लिए
हर पल ‘कुर्बानी’ को तत्पर हूँ मैं !
लाल रंग मेरी रगों में दौड़ता है
मेरे लहू का रंग ‘लाल’ है
लाल ‘रंग’ प्रेम है
प्रेम से प्रेम है मुझे
बिना ‘प्रेम’ के
दुनिया नहीं जी सकती
नहीं चल सकती
प्रेम दुनिया की आत्मा है
मेरा ‘रंग’ सफ़ेद है
जिसमें समाए हैं सारे ‘रंग’
मैं कलाकार हूँ
मैं जीवन का शिल्पकार हूँ
मेरा रंग सफ़ेद है !...
......
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