ये बेटियों की चीख है!
-मंजुल भारद्वाज
दर्द की हद है
सब्र की इन्तहा
ऐ जुमलेबाज़ जान लें
ये तेरे जुल्मो सितम की हद है
कैसे नींद आती है ऐ पाखंडी
बेटियों की चीखों में कैसे
चैन से सोता है
कैसे तेरी रूह नहीं कांपती
कैसे तेरी आत्मा नहीं जागती
बक बक करने वाले लफ्फाजी
कैसे बेटियों की आबरू के लिए
तेरी जुबां नहीं खुलती
सुन ऐ तानाशाह
बेटियों की हाय खरतनाक होती है
अच्छे अच्छे तख़्तनशीनों को खाक
में मिलाती है
भुला नही होगा निर्भया की चीख
जिसका नाम लेकर वोट माँगा था
वो ‘निर्भया’ की चीख थी जिसने
सत्ताधीशों को बाहर कर दिया
ऐ तख़्तनशीन शेखीबाज़
सुन चारो ओर बेटियाँ लहूलुहान हैं
तेरे भक्त बेटियों को नोच रहे हैं
और तू खामोश है !
सम्भवतः ये ख़ामोशी तेरा ‘अंत’ है!
ये बेटियों की चीख है!
...
#बेटियाँ #मंजुलभारद्वाज
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