सबसे खतरनाक है !
-मंजुल भारद्वाज
सबसे खतरनाक है
कला को भोगवादी बनाना
किसी धनपशु की पूंजी से
स्वयं को ‘कलाकार’ साबित करना
नौकरी करना, पत्रकार और
पत्रकारिता की ताल ठोकना
दो पल के सुख के लिए
सदियों की गुलामी करना
लोकतंत्र में रहना और
राजनीति को गंदा समझना
विकास की लालच में
देश के वर्तमान को जलाना
रीढ़ की हड्डी होते हुए रेंगना
ये कल किसी ने लिखा था
सबसे खतरनाक है सपनों का मर जाना
नहीं सबसे खतनाक है
सपनों का बिक जाना !
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