Tuesday, July 23, 2019

भगत सिंह ... 23 मार्च ! -मंजुल भारद्वाज

भगत सिंह ... 23 मार्च !
-मंजुल भारद्वाज
 
ऐ दोस्त तू कमाल कर गया 
गांधी की आंधी से उठा और 
देश को मार्क्स दे गया

क्रांति के लिए हिंसा भी ज़रूरी है 
को नकारते हुए तू शहीद हो गया
सत्ता की गोली बन्दुक से नहीं निकलती 
आज़ादी लहू मांगती है 
आत्म बलिदान से सिद्ध कर गया

भारत विविध और भावुक देश है 
पत्थर में भगवान पूजने वालों को 
‘नास्तिक’ होने की आस्था दे गया

आज तेरी शाहदत के 87 साल बाद 
मैं जब देखता हूँ 
पिज़्ज़ा और डेटा में खपते युवा को 
खुदकुशी करते किसान को 
आबरू बचाती बहनों को 
देश लूटते पूंजीपतियों को 
बैंक लूटकर फ़रार होते ठगों को 
जुमलेबाज़ और तड़ीपार सत्ताधीशों को 
लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलते वोटर को 
प्रतिरोध का बिगुल फूंकने की बजाए 
दरबार में नाचते कलाकारों को 
तो ऐ दोस्त ...
तेरे फोटो पर मैं हार नहीं चढ़ाना चाहता 
मैं तेरे होने का बखान नहीं करना चाहता 
मैं एक रस्म अदायगी नहीं करना चाहता 
भगत सिंह को पड़ोस में नहीं ढूंढना चाहता 
मैं खोजना चाहता हूँ 
अपने अंदर भगत सिंह 
होना चाहता हूँ कुर्बान 
संविधान और लोकतंत्र के लिए !...


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