गर्व का महा पर्व !
- मंजुल भारद्वाज
विज्ञापनों पर आज़ादी के महापर्व का
बुखार चढ़ा हुआ है
महापर्व का गर्व टैग लाइन है
मुनाफाखोरी हाईलाइट है
सरकारी रेवड़ियों से सजे
पद्मश्री से नवाज़े भांड
भूखे देश का पेट देशभक्ति से भर देंगे
लोक प्रतिनिधियों की सरेआम ख़रीद-फ़रोख्त
बेशर्मी,नंगई को बाज़ार से ढक देंगे !
ग़रीबी,मुफ़लिसी,जात-पात
हिन्दू –मुसलमान नफ़रत
श्मशान की राख़
कब्रिस्तान की ख़ाक की आंधी से
घिरा हुआ गांधी
स्वच्छता अभियान के कीचड़ से सने
अपने चश्में को साफ़ करते हुए
संविधान में धर्मनिरपेक्षता
और
सरकार में सत्यमेव जयते खोज रहे हैं !
गोडसे गाँधी को नमन करते हुए
गांधी को हिन्दू राष्ट्र दिखा रहे हैं
गर्व से बता रहे हैं
बापू देखो मेरे सपनों का हिन्दू राष्ट्र
बापू मौन हैं
सर्वोच्च न्यायालय बापू पर अर्धनग्न होने पर
सामाजिक शुचिता भंग करने का मुकदमा चला रहा है
गोडसे दस लाख़ का सूट पहनकर गवाही दे रहा है !
नेहरु,सरदार पटेल,भगत सिंह,आंबेडकर
अपने क्रिया कलापों कर मन्त्रणा कर रहे हैं
इनके अनुयायी एक एक करके
खुद को गोडसे के हवाले कर रहे हैं
गोडसे सबको मालामाल कर रहा है
जेड प्लस सुरक्षा के घेरे में
नेहरू,पटेल,आम्बेडकर के अनुयायी
मन्त्रणा करते हुए
नेहरु,सरदार पटेल,भगत सिंह,आंबेडकर को
कुचल रहे हैं !
देश की मालिक जनता
हम भारत के लोग को
पांच किलो अनाज़ में बेचकर
मंदिर के सामने लाइन में खड़े हो
झूठन का इंतज़ार कर रहे है
मंदिर में लगे बड़े टीवी स्क्रीन पर
आज़ादी के महापर्व के जश्न को
गर्व से देख रही है .... !
#गर्व,#महापर्व,#देशभक्ति,#मंजुल भारद्वाज
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