कैसे ?
-मंजुल भारद्वाज
रोयाँ रोयाँ जिसका नफ़रत से कता हो
वो कैसे मातृभूमि का जयकारा लगाते हैं ?
वर्णवाद की बिसात पर मोहरों की तरह रखी
जात पात की दासता कैसे भारत की संस्कृति है?
कैसे अन्याय के मूल से उगी शोषण,भेदभाव,नफ़रत,
हिंसा को परवान चढ़ाती रीति रिवाज़ हमारी सभ्यता है?
औरत को अपने पैरों तले रौंदता भारत का मर्दवाद
कैसे नारियों का बलात्कार कर, माँ को पूजता है?
जिसके नाम से अधर्म का कुचक्र चलाया जाता है
वो मनुष्यता का क़त्ल होते देख कैसे ईश्वर कहलाता है?
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