तुम मेरी नई सुबह हो !
-मंजुल भारद्वाज
ओस की चादर ओढ़े
अलसाई सी
रूमानियत भरी रात के बाद
अंगड़ाई लेती हुई
उनींदी आखों को
होले होले अपने हाथों से मलते हुए
अपने आगोश में लेते हुए
मेरे अंदर समा रही हो
हाँ उम्मीद से भरी
तुम मेरी नई सुबह हो !
#तुममेरीनईसुबहहो #मंजुलभारद्वाज
No comments:
Post a Comment