Wednesday, April 13, 2022

उदास हूँ -मंजुल भारद्वाज

जलियाँवाला बाग के शहीदों को नमन करते हुए!

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उदास हूँ

-मंजुल भारद्वाज

जलियाँवाला बाग के शहीदों को नमन करते हुए! ...... उदास हूँ -मंजुल भारद्वाज

उदास हूँ

कितने भयाक्रांत हैं

माँ भारती के लाल

इस भय से नोच रहे हैं

अपनी ही संतानों को

इस भय से तार तार कर रहे है

अस्मत,अस्मिता,आबरू,मर्यादा

उस राम की जिसका राज्य

‘राम राज्य’ स्थापित करना

चाहते हैं

घोल रहे हैं विष पूरी पीढ़ी में

राम के नाम पर

कितने भयाक्रांत हैं

माँ भारती के लाल

छद्म,कुतर्क,लफाज़ी में प्रवीण

जुमलों के धुरंधर

छलनी कर रहे हैं

माँ भारती का सीना

कितने भयाक्रांत हैं

माँ भारती के लाल

उदास हूँ, निराश नहीं

हैरान हूँ,हताश नहीं

ये भारत भूमि है

माँ भारती है

जो जन्मती है

मीरा,सावित्री,द्रौपदी

जीजा और लक्ष्मीबाई

जो अपने विद्रोह,समर्पण

प्रतिशोध और बलिदान से

बचाती हैं आंचल ममता

अस्मिता और स्वाभिमान का

धर्मांध ठेकेदारों और धृतराष्ट्रों से

माँ भारती जन्मती है

बुद्ध,नानक,गांधी,टैगोर

तुलसी,तिलक,कबीर

सूर,रहीम,रैदास

जिनका सत और चेतना

तोड़ती हैं पाखंड की बेड़ियाँ

करती हैं निर्माण नव भारत का

समय,समय पर!

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