तेरे रूबरू हूँ !
-मंजुल भारद्वाज
तानाशाह मैं तेरे ज़ुल्म-ओ-सितम से आजिज़ हो
तेरे रूबरू हूँ
मेरी रहबरी ने
तेरी नफ़रत की सल्तनत को
नेस्तानाबूद कर दिया
तूने तक़सीम कर दिया था
रकीब और हबीब में
मेरे वजूद को
देख मैंने दर्द को
आब-ए-हयात बना लिया!
#दर्द #आबएहयात #मंजुलभारद्वाज
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