Friday, November 8, 2019

ध्यान चेतना दीप है! - मंजुल भारद्वाज

ध्यान चेतना दीप है!
- मंजुल भारद्वाज
अंधकार दृष्टि शून्य
प्रकाश दृष्टि सम्पन्न
होने का सबब है
पंचतत्व,पंच इन्द्रियाँ
एक श्वास,एक लक्ष्य
एक स्वर,एक ताल
अंतर्बाह्य तारतम्य
व्यक्ति चेतना
ब्रह्मांडीय चैतन्य
एकाकार होते हैं
ध्यान प्रकिया से
समाधिस्त चेतना
कल्याणकारी दृष्टि
कालचक्र का कलात्मक सौन्दर्य
सबके सुख और शांति हेतु
आनंदित हो
ब्रह्मांड में सितारे
बनकर जगमगाता है !

No comments:

Post a Comment