आब-ए-हयात है मोहब्बत!
- मंजुल भारद्वाज
तेरी आँखों के दरिया में
डूबने की सौगात है मोहब्बत
इस मुफ़लिस की क्या बिसात
मेरी नियामत तेरा इक़रार है मोहब्बत
ज़िंदगी तेरी ऐसे ही रौशन रहे ताउम्र
कुदरत का नूर
आब-ए-हयात है मोहब्बत!
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