जीवन मल्हार
-मंजुल भारद्वाज
अनजान दो दिल
प्रेम के मधुर संगीत में
जीवन मल्हार गाते हैं
एकाकार हो सृजित करते हैं
अपना जीवन संसार
धीरे धीरे जीवन व्यवहार का कर्कश शोर
प्रेम धुन को मंद करता है
मस्तिष्क जीवन यथार्थ के रेगिस्तान में
हरियाली खोजने में लग जाता है
दिल की धड़कन सिर्फ़ रक्तचाप की क्रिया भर रह जाती है
प्रेम कहीं यादों की पोटली में सिमटकर
ताउम्र अपने मधुर स्वरों को ढूंढता रहता है!
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