कुम्हार
- मंजुल भारद्वाज
अपने आप को हर पल मथता हुआ
हर पल बनाकर
हर पल विखंडित करता हुआ
रचना प्रकिया की सहजता से
विचार,भावना,शरीर और अध्यात्म के सिरों को
काल की कसौटी पर परखता हुआ
इंसानियत की वेदना,संवेदना को
देह की माटी में
आत्मबोध के साक्षात्कार से
घड़ी में घट घड़ता हुआ
कुम्हार ही तो ब्रह्म है!
....
#सृजक #कुम्हार #मंजुलभारद्वाज
No comments:
Post a Comment