गूढ़
- मंजुल भारद्वाज
व्यवहार,व्यवहारिक,व्यवहारिकता
आपको जीवन भर
अपने पाश में जकड़े रहती है
आपको पल पल समझौता
करने को विवश करती है
आपके तत्व की रीढ़ को तोड़
रेंगने को बाध्य करती है!
दुनिया वाले फिर यह समझाते हैं
यही जीवन और संसार है
फिर कोई सिद्धार्थ भागता है
अपने बुद्ध से मिलने !
बुद्ध लौटता है इसी संसार में
व्यवहारिकता से उन्मुक्त करने के लिए
उलझ जाता है संसार की व्यवहारिकता में
वसुंधरा सोचती है जीवन भर
बुद्ध होने का सार क्या है?
संसार के होने को स्वीकारते हुए
जो स्थिति, परिस्थिति को बदल सकता है
स्थिति की जड़ता की जकडन को तोड़कर
जीवन के सत्व को मानवीय दृष्टि से
उत्प्रेरित और प्रवाहित करता है!
व्यवहारिकता से मुक्ति का मार्ग है
सतत सचेत तात्विक जीवन
जहाँ व्यवहारिकता सिर्फ़ नमक जितनी हो
जो शरीर को सत्व के समुद्र से तार दे
दृष्टि ,चिंतन, विचार का अमर करते हुए!
#गूढ़ #मंजुलभारद्वाज
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