Tuesday, July 23, 2019

ये बड़े घाघ हैं - मंजुल भारद्वाज

ये बड़े घाघ हैं
-मंजुल भारद्वाज

ये बड़े घाघ हैं 
बेशर्मी में ‘मौन’ साध जायेगें 
आबोहवा बदलता देख
आपकी टोली में छुप जायेगें

तुम सरोकारों के पैरोकार हो 
ये सत्ता के ‘सिक्कों’ के वफ़ादार हैं 
तुम ‘जीवन’ के संघर्ष में 
व्यवस्था को बदलने के लिए 
‘कला’ को सत्व का,तत्व का 
हथियार मानते हो
ये सिर्फ़ ‘कला’ को भोगवाद का 
भक्ति राग मानते हैं 
तुम ‘कला’ को प्रगतिशील मानते हो 
ये कला को ‘जड़’ समझते हैं 
तुम वैचारिक प्रतिबद्धता की बात करते हो 
ये ‘रूप’ के इर्द गिर्द खत्म हो जाते हैं

तुम्हारे लिए “रंग’ एक चेतना है 
इनके लिए सिर्फ़ ‘नुमाइश’

ये रंगकर्मी नहीं जो ‘कला’ को 
‘मनुष्य को मनुष्य’ बनाने के लिए साधते हों 
ये ‘गिरगिट’ हैं जो ख़ुद को 
बचाने कर लिए ‘रंग’ बदलते हैं!
.....
#रंगदृष्टि #रंगकर्म #मंजुलभारद्वाज

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